भारत में त्योहारों का एक विशेष महत्व है। ये सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन नहीं होते, बल्कि परिवारों और समुदायों को जोड़ने वाले उत्सव भी होते हैं। दिवाली, होली, ईद, क्रिसमस, दशहरा और अन्य बड़े त्योहारों के दौरान लोग एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं। लेकिन इन खुशियों के बीच एक गंभीर समस्या अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाती है — त्योहारों के दौरान शराब और नशे के सेवन में बढ़ोतरी। इस समय लोग “मज़े के लिए” या “दोस्तों के दबाव में” नशा करने लगते हैं, जो बाद में एक गंभीर लत का रूप ले सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हम इस समस्या को समय रहते समझें और इससे बचाव के प्रभावी उपाय करें।
1. त्योहारों में नशे के सेवन के बढ़ने के कारण
त्योहारों के समय नशे और शराब के सेवन में वृद्धि के कई कारण होते हैं, जैसे:
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माहौल में उत्साह और छूट का भाव: लोग त्योहारों में अपने ऊपर लगी सीमाओं को हल्का कर लेते हैं और सोचते हैं कि “त्योहार में थोड़ा बहुत पीना बुरा नहीं।”
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दोस्तों या सामाजिक दबाव: बहुत से लोग दोस्तों के साथ बैठकों में यह सोचकर नशा करने लगते हैं कि मना करने पर कहीं वे ‘अलग-थलग’ न पड़ जाएं।
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मज़े के नाम पर जोखिम: कई बार युवा वर्ग बिना सोचे-समझे “थोड़ा अनुभव करने” के नाम पर नशा कर लेते हैं।
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आसानी से उपलब्धता: त्योहारों के समय शराब और नशे से जुड़ी चीज़ें आसानी से मिलने लगती हैं, जिससे प्रलोभन बढ़ जाता है।
2. नशे के सेवन के खतरनाक प्रभाव
त्योहारों में भले ही शराब या नशा “जश्न का हिस्सा” लग सकता है, लेकिन इसके प्रभाव बहुत गंभीर हो सकते हैं।
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स्वास्थ्य पर असर: नशा हृदय, लीवर, किडनी और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है। एक बार की लापरवाही भी लंबे समय तक परेशानी बन सकती है।
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दुर्घटनाओं का खतरा: नशे की हालत में वाहन चलाना या तेज़ी से गाड़ी चलाना कई गंभीर सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
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परिवारिक तनाव: शराब और नशे से झगड़े, घरेलू हिंसा और रिश्तों में दरारें बढ़ सकती हैं।
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कानूनी परेशानी: नशे में गाड़ी चलाने, सार्वजनिक स्थानों पर हंगामा करने या हिंसा जैसी घटनाओं से जेल और जुर्माने का भी खतरा रहता है।
3. त्योहारों में नशा और शराब से बचाव के प्रभावी उपाय
(क) पहले से योजना बनाएं
त्योहारों से पहले ही अपने और परिवार के लिए यह तय कर लें कि आप नशे से दूर रहेंगे। परिवार में सभी के साथ खुलकर बातचीत करें ताकि कोई भी नशा करने के लिए दबाव में न आए।
(ख) सकारात्मक विकल्प चुनें
त्योहारों को मनाने के कई बेहतर और सेहतमंद तरीके हैं— जैसे मिठाई बनाना, संगीत, डांस, पूजा-पाठ, गेम्स और पारिवारिक आयोजन। जब लोग व्यस्त और खुश रहते हैं तो नशे का विचार कम होता है।
(ग) दोस्तों के दबाव को ‘ना’ कहना सीखें
अक्सर नशे की शुरुआत “दोस्तों के दबाव” में होती है। अगर कोई नशा ऑफर करे तो आत्मविश्वास से मना करें। आप कह सकते हैं — “मुझे इस चीज़ की ज़रूरत नहीं” या “मैं त्योहार का आनंद बिना नशे के लेता हूं।”
(घ) सामाजिक सहयोग और निगरानी
परिवार और समाज को एक साथ मिलकर ऐसे आयोजनों पर नज़र रखनी चाहिए जहां नशे का दुरुपयोग हो सकता है। सामुदायिक स्तर पर शराब या ड्रग्स पर नियंत्रण के लिए पहल करना भी ज़रूरी है।
(ङ) कानूनी नियमों का पालन
त्योहारों में शराब और नशे से जुड़ी गतिविधियों पर कानून सख्त होता है। ड्रिंक एंड ड्राइव या अवैध रूप से नशा करने पर सज़ा और जुर्माना हो सकता है। लोगों को इन नियमों की जानकारी होनी चाहिए।
4. परिवार की भूमिका सबसे अहम
परिवार ही सबसे बड़ा सहारा होता है। त्योहारों में घर का माहौल ऐसा होना चाहिए कि हर कोई सुरक्षित और सहज महसूस करे। कुछ सरल कदम बहुत फर्क डाल सकते हैं —
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घर में शराब या नशे से जुड़ी चीज़ें न रखें।
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बच्चों और युवाओं को शुरू से ही नशे के नुकसान के बारे में समझाएं।
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नशे के सेवन के संकेत दिखने पर खुलकर बात करें और ज़रूरत पड़ने पर मदद लें।
5. युवाओं के लिए विशेष सुझाव
त्योहारों में युवा वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होता है। इसलिए युवाओं को चाहिए कि —
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वे अपनी सीमाओं को समझें और नशे से दूर रहें।
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किसी भी प्रकार के प्रलोभन में न आएं।
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दोस्तों का साथ ऐसा चुनें जो गलत आदतों से दूर रहते हों।
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अपनी सुरक्षा और भविष्य को प्राथमिकता दें।
6. अगर कोई नशे में फंस चुका है तो मदद ज़रूरी है
यदि किसी व्यक्ति ने त्योहारों के दौरान नशा करना शुरू कर दिया है और अब वह इसे छोड़ नहीं पा रहा, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। नशे की लत एक बीमारी है और इसका इलाज संभव है। इस स्थिति में —
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नशा मुक्ति केंद्र (Rehabilitation Centre) से संपर्क करें।
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परामर्श (Counselling) और थेरेपी कराएं।
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परिवार और दोस्तों का भावनात्मक समर्थन बहुत महत्वपूर्ण होता है।
कई सरकारी मान्यता प्राप्त नशा मुक्ति केंद्र हैं जो पेशेवर तरीके से मरीजों को नशे से बाहर निकालने में मदद करते हैं। ऐसे केंद्रों में सुरक्षित वातावरण, चिकित्सीय देखभाल और मनोवैज्ञानिक सहायता दी जाती है।
7. त्योहारों का असली अर्थ याद रखें
त्योहारों का उद्देश्य नशा करना नहीं, बल्कि प्रेम, एकता और खुशियां बांटना होता है। जब लोग नशे से दूर रहते हैं, तो त्योहार की पवित्रता और आनंद और भी बढ़ जाता है। साफ दिमाग और सकारात्मक ऊर्जा के साथ मनाया गया त्योहार हमेशा यादगार बनता है।
8. निष्कर्ष
त्योहारों में नशे और शराब के सेवन को रोकना मुश्किल नहीं, बस जागरूकता और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत होती है। परिवार, समाज और सरकार तीनों मिलकर इस दिशा में काम करें तो त्योहारों को और भी सुरक्षित और सुखद बनाया जा सकता है।
याद रखें:
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नशा अस्थायी मज़ा और स्थायी नुकसान लाता है।
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त्योहारों की असली खुशियां नशे में नहीं, अपनों के साथ सुरक्षित और स्वस्थ पल बिताने में होती हैं।
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अगर कोई व्यक्ति नशे की लत में फंस गया है, तो शर्म या डर के बजाय मदद लेना ही समझदारी है।
त्योहारों को नशामुक्त बनाकर हम एक स्वस्थ, सुरक्षित और खुशहाल समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: त्योहारों में नशे का सेवन क्यों बढ़ जाता है?
उत्तर: दोस्तों के दबाव, उत्साह में बह जाने और आसानी से नशा उपलब्ध होने के कारण त्योहारों में इसका सेवन बढ़ जाता है।
प्रश्न 2: नशे से बचने के लिए सबसे प्रभावी तरीका क्या है?
उत्तर: पहले से निश्चय कर लेना कि आप नशा नहीं करेंगे, सामाजिक दबाव को ‘ना’ कहना और सकारात्मक विकल्प चुनना सबसे प्रभावी उपाय हैं।
प्रश्न 3: अगर कोई नशा शुरू कर चुका है तो क्या वह इसे छोड़ सकता है?
उत्तर: हां, नशा मुक्ति केंद्र और काउंसलिंग की मदद से कोई भी व्यक्ति नशे की लत से बाहर आ सकता है।
प्रश्न 4: क्या त्योहारों में शराब पीना कानूनी है?
उत्तर: कुछ राज्यों में त्योहारों के दौरान शराब पर नियंत्रण या प्रतिबंध होता है। नियमों का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
प्रश्न 5: क्या नशा मुक्ति केंद्र त्योहारों के बाद भी मदद करते हैं?
उत्तर: हां, नशा मुक्ति केंद्र साल भर पेशेवर तरीके से मरीजों की मदद करते हैं ताकि वे नशे की लत से मुक्त होकर सामान्य जीवन जी सकें।
इस त्योहार के मौसम में नशे से दूर रहना ही सबसे बड़ा उत्सव है। सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें और त्योहारों को प्रेम और सकारात्मकता के साथ मनाएं।

